पूर्व रॉ चीफ को दी गई कमान, देश की सुरक्षा के थिंक टैंक NSA बोर्ड पर सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली: पहलगाम हमले पर पलटवार के लिए बुधवार को दिल्ली में सुबह से हाई लेवल बैठकों का सिलसिला चल रहा है. सीसीएस और सीसीपीए की बैठक के बाद पीएम मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अलग से बैठक की. माना जा रहा कि इन बैठकों में पहलगाम पर पलटवार का फाइनल ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है. इसके साथ ही NSA बोर्ड में भी बदलाव करते हुए पूर्व रॉ चीफ आलोक जोशी को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. इसके साथ ही बोर्ड में पूर्व सैनिकों और IPS को सदस्य बनाने को मंजूरी दी गई है. उनके साथ बोर्ड में कुल 6 सदस्य होंगे. बोर्ड में तीनों सेनाओं के रिटायर्ड अधिकारियों को शामिल किया गया है.

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आखिर ऐसा क्यों किया गया

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के पुनर्गठन की वजह इसमें नई ऊर्जा और जोश भरना है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का काम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को सलाह देता है. सुरक्षा मामलों पर यह एक थिंक टैंक की तरह काम करता है. यह अहम सुरक्षा नीतियों पर सरकार को सलाह देता है. इसमें भारत की न्यूक्लियर नीति जैसे अहम विषय भी शामिल हैं. यह थिंक टैंक सुरक्षा के लिहाज से कितना अहम है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि रॉ के पूर्व चीफ आलोक जोशी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. छह अन्य सदस्यों को भी बोर्ड में शामिल किया गया है.

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सूत्रों के अनुसार सरकार ने एनएसए बोर्ड में बदवाल करते हुए इस बोर्ड में पूर्व पश्चिमी एयर कमांडर एयर मार्शल पीएम सिन्हा, पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और रियर एडमिरल मॉन्टी खन्ना सैन्य सेवाओं से रिटायर्ड अधिकारी हैं. आपको बता दें कि मनमोहन सिंह और राजीव रंजन वर्मा पुलिस सेवा से रिटायर हो चुके हैं. वहीं, बी वेंकटेश वर्मा सात सदस्यीय बोर्ड में सेवानिवृत विदेशी सेवा अधिकारी हैं.

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