मंच बना सियासी अखाड़ा: दो दलों के जनप्रतिनिधियों में छिड़ी जुबानी जंग, अफसरों ने दखल देकर कराया मामला शांत

गरियाबंद : जिले के खोखरा पंचायत में आयोजित समाधान शिविर में उस वक्त बड़ा बवाल हुआ जब भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष माखन कश्यप द्वारा कांग्रेस सरकार के समय की कमियाँ गिनाई जा रही थीं। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ जी. आर. मरकाम ने कश्यप के संबोधन को रोकते हुए कहा कि समाधान शिविर के मंच को राजनीतिक मंच बनाना बंद किया जाए।

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सीईओ के रोकते ही इस फैसले के समर्थन में कांग्रेस समर्थित जनपद उपाध्यक्ष नंद कुमारी राजपूत खड़ी होकर माखन कश्यप को जवाब देने लगीं। मंच पर बैठे जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम और लोकेश्वरी नेताम भी नंद कुमारी के समर्थन में उतर पड़े। देखते ही देखते मंच का माहौल राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हो गया। मौजूद वरिष्ठ नेता और अफसरों के दखल के बाद मामला शांत हुआ।

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दरअसल मंच में क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य संजय और लोकेश्वरी ने अपने संबोधन में क्षेत्रीय समस्याओं का अंबार गिनाया था। बिजली, सड़क, पानी जैसे मुद्दों पर आवेदन देने के बावजूद समाधान नहीं होने की बात कहकर शिविर में समाधान पर सवाल खड़ा किया था। माखन कश्यप इसी सवाल के जवाब देने की कोशिश में कई सीमाएँ लांघते नज़र आए, जिसके चलते सीईओ को बीच में टोकना पड़ा था।

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एक दिन पहले ही धौरा कोट में आयोजित शिविर में भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य नेहा सिंघल ने भी नल-जल योजना, राजस्व प्रकरण निपटारे को लेकर प्रशासन को घेरा था। भाजपा सरकार के इस समाधान शिविर के क्रियान्वयन पर प्रश्नचिह्न लगाया था। आज भी माइक थामते ही समाधान शिविर में समस्याओं का समाधान नहीं होने की बात अपने संबोधन में कही थी। झाखरपारा शिविर में भाजपा के पूर्व विधायक डमरूधर पुजारी ने भी जनता की भीड़ कम देख अफसरों को लताड़ा था।

अफसरों का मानना है कि शिविरों में लगातार जनप्रतिनिधियों के रवैये से शिविर का माहौल खराब हो रहा है। मौजूद वरिष्ठ नेता शांत और गंभीर रहते हैं, जबकि युवा जनप्रतिनिधियों में इसका अभाव दिख रहा है। शिविरों में बवाल को लेकर भाजपा संगठन में भी जमकर चर्चा है। संगठन के पदाधिकारी भी अपने स्तर पर कैंपिंग कंट्रोवर्सी पर नकेल कसने की तैयारी में हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता गोवर्धन मांझी ने कहा कि ऐसी परिपाटी बंद होनी चाहिए।

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