क्रोएशिया जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बने मोदी, जानें भारत के लिए क्या है इस यूरोपीय देश से रिश्ते का महत्व

कनैनिस्किस (कनाडा): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन की अपनी ‘‘सार्थक’’ यात्रा पूरी करने के बाद बुधवार को क्रोएशिया रवाना हो गए हैं। यह तीन देशों की उनकी यात्रा का तीसरा और अंतिम पड़ाव है। क्रोएशिया जाने वाले वह भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। क्रोएशिया बाल्कन देश में आता है। इससे पहले उन्होंने साइप्रस की यात्रा की थी। यहां पहुंचने वाले वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद वह सोमवार की शाम साइप्रस से कनाडा के कैलगरी पहुंचे। यह पिछले एक दशक में कनाडा की उनकी पहली यात्रा थी।

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क्रोएशिया के दौरे का क्या है उद्देश्य

पीएम मोदी की क्रोएशिया दौरे का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना, भारत और क्रोएशिया के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है। इसके अलावा यूरोपीय संघ के साथ सहयोग बढ़ाना, क्योंकि क्रोएशिया यूरोपीय संघ का सदस्य है और इस यात्रा से भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

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क्रोएशिया के साथ रणनीतिक साझेदारी की तलाश

क्रोएशिया के साथ भारत रणनीतिक साझेदारी की तलाश में है। विशेष रूप से रक्षा, ऊर्जा और विज्ञान के क्षेत्रों में भारत इस यूरोपीय देश के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करना चाहता है।

क्रोएशिया से दोस्ती भारत के लिए क्यों ज़रूरी है?

पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की विदेश नीति में यूरोप के प्रति बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाती है। क्रोएशिया के साथ मजबूत संबंध भारत को यूरोप में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद करेंगे और वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और प्रभावी बनाएंगे। भारत की वैश्विक कूटनीति में यूरोप के छोटे, लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों से संबंध मजबूत करना अब प्राथमिकता बन चुका है। क्रोएशिया से दोस्ती भारत के लिए कई मायनों में अहम है:

भारत के लिए क्रोएशिया से दोस्ती के प्रमुख कारण

क्रोएशिया यूरोपीय संघ (EU) और नाटो (NATO) का सदस्य है। भारत के लिए EU देशों के साथ रणनीतिक व आर्थिक संबंध मजबूत करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा क्रोएशिया बाल्कन क्षेत्र में स्थित है, जो यूरोप और पश्चिम एशिया के बीच का सेतु है। यहां भारत की मौजूदगी से पूरे मध्य और पूर्वी यूरोप तक कूटनीतिक पहुंच बनती है।

नौसैनिक सहयोग की संभावना

क्रोएशिया एड्रियाटिक सागर के किनारे स्थित है और उसकी नौसैनिक विशेषज्ञता को लेकर भारत रक्षा और शिपबिल्डिंग सहयोग पर विचार कर सकता है। क्रोएशिया छोटे लेकिन तकनीकी रूप से उन्नत देशों में गिना जाता है। विशेष रूप से आईटी, मेडिकल टेक्नोलॉजी और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के अवसर हैं। इसके अलावा क्रोएशिया भारत के लिए एक नया पर्यटन बाजार भी हो सकता है और सांस्कृतिक विनिमय से संबंध और गहरे हो सकते हैं।

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