Bilaspur High Court बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग (बाल तस्करी) के मामलों को गंभीरता से लेते हुए इन मामलों में लंबित ट्रायल को 6 महीनों के भीतर पूरा करने के लिए अहम और सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने सभी जिला न्यायालयों को आदेश दिया है कि प्रदेश में बाल तस्करी से जुड़ी हर सुनवाई सर्कुलर जारी होने की तिथि से 6 महीने के भीतर पूरी की जाए।
सुनवाई में देरी पर खास निर्देश
हाईकोर्ट ने सर्कुलर में यह भी निर्देश दिया है कि अगर किसी कारण से किसी केस की सुनवाई में देरी हो रही है तो इसका स्पष्ट कारण रिकॉर्ड किया जाए। इसके साथ ही सभी रिपोर्ट समय-समय पर उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की जाए ताकि मॉनिटरिंग की जा सके।
रोजाना सुनवाई और समयसीमा का पालन
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जरूरत पड़ने पर मामलों की रोजाना सुनवाई सुनिश्चित की जाए ताकि तय समयसीमा में ट्रायल पूरा हो सके। कोर्ट ने साफ-साफ चेतावनी दी है कि इस दिशा में किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी न हो क्योंकि ये मामले सीधे बच्चों के भविष्य से जुड़े हैं।
बाल तस्करी में बढ़ती घटनाओं पर चिंता
बीते कुछ वर्षों में बाल तस्करी के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे समाज में चिंता का माहौल बना हुआ है। हाईकोर्ट का यह निर्णय सख्त लेकिन आवश्यक कदम माना जा रहा है, जो बच्चों की सुरक्षा और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में प्रभावी साबित हो सकता है।