भारत–अमेरिका टैरिफ विवाद के बीच पहली बड़ी डील: 2026 के लिए 2.2 MTPA LPG खरीदने पर समझौता

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ विवाद के बीच ऊर्जा क्षेत्र में एक अहम प्रगति हुई है। दोनों देशों ने अपनी पहली बड़ी LPG सप्लाई डील साइन की है। इस समझौते के तहत भारत अमेरिका से 2.2 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) LPG आयात करेगा, जो देश की सालाना LPG जरूरत का लगभग 10% है। यह डील सिर्फ एक वर्ष, यानी 2026 के लिए प्रभावी रहेगी।

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 भारत की तीन सरकारी तेल कंपनियां शामिल

इस समझौते को आगे बढ़ाने में भारत की तीन प्रमुख सरकारी तेल कंपनियों की अहम भूमिका रही—

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  • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC)

  • भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL)

  • हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL)

इन कंपनियों ने अमेरिकी ऊर्जा दिग्गजों के साथ यह करार किया है।

 किन अमेरिकी सप्लायरों के साथ हुई डील?

भारत ने जिन अमेरिकी एनर्जी कंपनियों के साथ समझौता किया है, वे वैश्विक स्तर पर LPG सप्लाई की प्रमुख कंपनियां हैं—

  • Chevron (चेवरॉन)

  • Phillips 66 (फिलिप्स 66)

  • TotalEnergies Trading (टोटल एनर्जीज ट्रेडिंग)

यह समझौता दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग को नए आयाम देता है।

 इस डील का महत्व क्या है?

  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा LPG उपभोक्ता है।

  • रसोई गैस की बढ़ती मांग को देखते हुए स्थिर सप्लाई सुनिश्चित करना जरूरी है।

  • यह डील भारत की LPG खरीद के स्रोतों को विविध (Diversify) बनाएगी।

  • अमेरिका से बड़ी मात्रा में LPG आयात भारत के एनर्जी सिक्योरिटी एजेंडा को मजबूत करेगा।

 टैरिफ विवाद के बीच अहम पहल

हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच स्टील व एल्युमिनियम उत्पादों पर टैरिफ को लेकर तनाव की स्थिति बनी रही। ऐसे माहौल में ऊर्जा क्षेत्र में यह समझौता दोनों देशों के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, जो द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है।

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