जगदलपुर, 19 अक्टूबर : माओवादी आंदोलन के इतिहास में यह सप्ताह निर्णायक साबित हुआ है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में बीते तीन दिनों के भीतर 271 माओवादियों ने सामूहिक रूप से संगठन छोड़कर नया जीवन अपनाने का निर्णय लिया है। इनमें पोलित ब्यूरो सदस्य एवं केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो (सीआरबी) सचिव भूपति और केंद्रीय समिति सदस्य तथा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) प्रवक्ता रूपेश उर्फ विकल्प भी शामिल हैं।
JNU Controversy : जेएनयू में फिर बवाल छात्रों और पुलिस के बीच झड़प, 28 छात्र हिरासत में
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम माओवादी संगठन की कमर तोड़ने वाला साबित होगा। इससे न केवल संगठन की संरचना प्रभावित होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर हिंसा और अपराध की घटनाओं में भी कमी आने की संभावना जताई जा रही है।
पिछले वर्षों में ‘गणपति फोर्स’, ‘देवजी फोर्स’ और ‘हिड़मा फोर्स’ जैसे गुटों की सक्रियता के चलते क्षेत्र में सुरक्षा चुनौती बनी हुई थी। अब इन गुटों पर सरकारी नजर और भी सख्त हो गई है।
सरकार ने नए पुनर्वासित माओवादी सदस्यों के लिए विशेष पुनर्वास कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसमें उन्हें रोजगार, शिक्षा और सामाजिक सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल सुरक्षा स्थिति को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में शांति स्थापना की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।