सांपों से खेल, फूल और पत्तियों का भोजन; कैसे सालों जंगल और गुफा में रही रूसी महिला

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में गोकर्ण के पास रामतीर्थ पहाड़ी की गुफा में रूसी महिला अपने बच्चों के साथ मिली। 40 साल की नीना कुटिना को मोही के नाम से भी जाना जाता है, जो यहां अपनी दो छोटी बेटियों 6 वर्षीय प्रेया और 4 वर्षीय अमा के साथ रह रही थी। तीनों इस गुफा में बीते 2 महीने से छिपे हुए थे। कुटिना साल 2016 में बिजनेस वीजा पर भारत आई थी और 2017 में वीजा अवधि समाप्त हो गई। इसके बाद उन्होंने देश छोड़ने के बजाय जंगल में शरण ले ली। 9 जुलाई को पुलिस गश्त के दौरान उन पर नजर पड़ी। अधिकारियों ने गुफा के पास साड़ियां और प्लास्टिक कवर देखे तो उन्हें संदेह हुआ। गुफा में रुद्र की मूर्ति, रूसी किताबें और हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें भी मिलीं।

नीना कुटिना ने अपनी बेटियों को जंगल में ही जन्म दिया। उसने उन्हें योग, ध्यान, चित्रकला और आध्यात्मिक शिक्षा सिखाई। वह अपने परिवार के लिए राशन के तौर पर इंस्टेंट नूडल्स और प्राकृतिक संसाधनों (फल, फूल और पत्तियों) पर निर्भर थी। तीनों प्लास्टिक शीट पर सोते थे और प्राकृतिक रोशनी का इस्तेमाल करते थे। कुटिना ने पुलिस को बताया, ‘सांप तो हमारे दोस्त हैं। वे हमें नुकसान नहीं पहुंचाते जब तक कि हम उन्हें परेशान न करें।’ खतरनाक वन्यजीवों और भूस्खलन वाले इलाके में भी वे सुरक्षित रहीं। पुलिस ने अब उन्हें बच्चों के साथ कुमटा तालुका के एक आश्रम में भेज दिया है, जहां 80 वर्षीय स्वामीजी उनकी देखभाल कर रही हैं।

जंगल में रहने का फैसला क्यों लिया

पुलिस ने गुफा और आसपास के जंगल की तलाशी ली। इस दौरान नीना कुटिना का पासपोर्ट और समाप्त हो चुका वीजा बरामद हुआ, जिसकी समय सीमा 17 अप्रैल, 2017 को खत्म हो गई थी। कुटिना ने पहले दावा किया कि उसके कागजात खो गए थे। साल 2018 में उसने नेपाल के लिए एग्जिट परमिट लिया था, लेकिन फिर भारत लौटकर जंगल में गायब हो गई। पुलिस के अनुसार, कुटिना ने होटलों और भीड़भाड़ वाली जगहों से बचने के लिए जंगल को अपना घर बनाया, ताकि अधिकारियों से बचा जा सके। अब कुटिना और उसकी बेटियों को रूस वापस भेजने की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है।

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