Sarvapitri Amavasya 2025 और दुर्लभ सूर्य ग्रहण का संयोग, जानें विशेष उपाय

नई दिल्ली। आज, 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जा रही है। इस दिन का महत्व पितरों को श्राद्ध अर्पित कर उन्हें शांति देने में माना जाता है। इस वर्ष यह दिन और भी खास है क्योंकि इसका संयोग दुर्लभ सूर्य ग्रहण से बन रहा है।

ज्योतिषियों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और जीवन में आने वाले कष्टों को दूर करने के लिए विशेष उपाय करने का माना जाता है। हालांकि, इस बार सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा।

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विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिन पितृ तर्पण, दान और पूजा से न केवल पितरों की शांति होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव और बाधाओं से मुक्ति भी मिलती है। धार्मिक परंपरा के अनुसार, इस दिन किए गए उपाय और पूजा का विशेष लाभ होता है।

अधिकारियों और ज्योतिषियों ने लोगों से अपील की है कि वे इस अवसर का लाभ उठाकर अपने परिवार और पूर्वजों की पूजा-अर्चना जरूर करें।

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