ट्रंप के टैरिफ वॉर से बदलेगा वर्ल्ड ऑर्डर? रूस का जवाब बता रहा दिल्ली-मॉस्को-बीजिंग आ रहे करीब

रूस ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार पर वाशिंगटन के आधिपत्य को बनाए रखने के लिए ग्लोबल साउथ में देशों के खिलाफ “नव-उपनिवेशवादी” नीति अपनाने का आरोप लगाया है, और कहा है कि कोई भी टैरिफ और प्रतिबंध इतिहास की धारा को नहीं बदल सकते हैं. रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने अमेरिकी प्रशासन द्वारा टैरिफ को कड़ा करने के संबंध में मीडिया के एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की.

मशहूर सिंगर का एक्सीडेंट, कुरुक्षेत्र में हाईवे पर डिवाइडर से टकराई कार, उड़े परखच्चे

रूसी प्रवक्ता ने “वास्तव में बहुपक्षीय” और समान विश्व व्यवस्था (वर्ल्ड ऑर्डर) बनाने के लिए इन देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने की रूस की इच्छा व्यक्त की.

Advertisement

यह पूछे जाने पर कि रूस ग्लोबल साउथ में उसके प्रमुख भागीदारों के खिलाफ टैरिफ को बढ़ाने की वाशिंगटन की नीति को कैसे देखता है, जखारोवा ने कहा, “टैरिफ और प्रतिबंध दुर्भाग्य से वर्तमान ऐतिहासिक काल की एक परिभाषित विशेषता बन गए हैं, जो दुनिया भर के देशों को प्रभावित कर रहे हैं. एक बहुध्रुवीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था उभर रही है और इसमें अपने प्रभुत्व के कमजोर होने को स्वीकार करने में असमर्थ, वाशिंगटन एक नव-उपनिवेशवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है. वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक आजाद रास्ता चुनने वालों के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित आर्थिक दबाव बना रहा है.”

ग्लोबल साउथ में रूस के पार्टनर देशों के खिलाफ ट्रंप की टैरिफ नीति पर टिप्पणी करते हुए जखारोवा ने इसे राष्ट्रों की संप्रभुता पर “प्रत्यक्ष अतिक्रमण” और “उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास” कहा.

“हम दृढ़ता से मानते हैं कि कोई भी टैरिफ युद्ध या प्रतिबंध इतिहास की प्राकृतिक धारा को रोक नहीं सकता है. हमें बड़ी संख्या में साझेदारों, समान विचारधारा वाले देशों और सहयोगियों का समर्थन प्राप्त है, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों और सबसे ऊपर, ब्रिक्स के भीतर, जो इस दृष्टिकोण को साझा करते हैं.” जखारोवा ने आगे बताया कि रूस सहयोग को गहरा करने और “गैरकानूनी एकतरफा प्रतिबंधों” का विरोध करने के लिए तैयार है.

जखारोवा मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के ब्लॉक- ब्रिक्स का जिक्र कर रही थी, जिसका विस्तार 2024 में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए किया गया, जिसमें इंडोनेशिया 2025 में शामिल हो गया.

उन्होंने कहा कि अमेरिकी नीति आर्थिक विकास में मंदी, आपूर्ति श्रृंखलाओं को नुकसान और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन से भरी है. उन्होंने कहा, “मुक्त व्यापार के क्षेत्र में बुनियादी प्रावधानों के विपरीत, जिसे पश्चिमी देशों ने खुद एक बार बढ़ावा दिया था, वहां राजनीति से प्रेरित संरक्षणवाद और टैरिफ बाधाओं को जानबूझ कर बनाया गया है.”

कौशल से समृद्धि की ओर–युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर CM साय का विशेष जोर

क्या BRICS को ट्रंप कर रहे मजबूत?

अगर आप देखेंगे तो ट्रंप ने अभी ब्रिक्स के पांचों संस्थापक देशों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ब्राजील के खिलाफ उन्होंने 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, रूस पर यूक्रेन युद्ध की वजह से तमाम प्रतिबंध लगा रखे हैं और जल्द टैरिफ का ऐलान भी करेंगे, भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ के अलावा रूस से व्यापार के लिए अतिरिक्त जुर्माने की बात की है, चीन टकराव थोड़ा मध्यम हुआ है क्योंकि व्यापार वार्ता अभी भी चल रही है, साउथ अफ्रीका भी उनके निशाने पर है, उसपर ट्रंप ने 30 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया है.

एक बात तो साफ है कि ट्रंप पूरे ब्रिक्स को ही अमेरिका का दुश्मन मानते हैं और आरोप लगाते हैं कि ब्रिक्स देश मिलकर ग्लोबल करेंसी के रूप में डॉलर की स्थिति को कमजोर करना चाहते हैं. जिस तरह से उन्होने ब्रिक्स देशों को निशाने पर लिया है, यह दबाव ही कहीं इनको और करीब लाने की वजह न बन जाए. रूसी प्रवक्ता के बयान से भी यहीं संकेत मिलता है.

Spread the love
Add a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement